गुमशुदा चिट्ठियां Gumshuda Chitthiyan

विकास

कुछ चिट्ठियां लिखी तो गईं, लेकिन पोस्ट नहीं की गईं। वो चिट्ठियां किसी मेज़ की दराज़ में पड़े पुराने काग़ज़ों के बीच कहीं दबी रह गईं। या फिर किसी किताब के बीच पुराने सूख चुके फूल की भाँति सुशोभित हो गईं या किसी पर्स में चार तहों में सिमट कर रह गईं। वो सारे ख़याल बैरंग चिट्ठी हो गए। ये वही बैरंग चिट्ठियां हैं। ये चिट्ठियां सम्वाद हैं। बीते हुए कल से। आने वाले कल से। ये चिट्ठियां बात करने का ज़रिया हैं।अपने आप से। ये साधन हैं, ख़ुद तक पहुँचने का। अपने भीतर झाँकने का।

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