न दैन्यं न पलायनम्

Praveen Pandey

दिखा हुआ लिखना, लिखा हुआ पढ़ना, पढ़ा हुआ कहना, कहा हुआ सुनना, सुना हुआ मनना और तब उसे जीना। देखिये तो अभिव्यक्ति के कितने सुर हैं। व्यस्त जीवन है, लिखने पढ़ने का समय नहीं है, चलिये कुछ सुन लेते हैं। यदि पढ़ना चाहें या पढ़ते हुये सुनना चाहें तो www.praveenpandeypp.com पर जा सकते हैं।

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