कारीगर हूं साहेब शब्दों की मिट्टी से महफ़िल सजाता हूँ...! किसी को बेकार... किसी को लाजवाब नज़र आता हूं...!
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कारीगर हूं साहेब शब्दों की मिट्टी से महफ़िल सजाता हूँ...! किसी को बेकार... किसी को लाजवाब नज़र आता हूं...!